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सुप्रभ उवाच

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मुनिश्री सुप्रभ सागर जी

श्रुत कणिका
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  • भक्ति में अगर जान है तो भगवान तुमसे दूर नहीं।।

    भक्ति में अगर जान है तो भगवान तुमसे दूर नहीं।।

  • जो हो चुके थे तुम Discharge, आओ जिनवाणी से फिर से हो जाए Recharge ।।

    जो हो चुके थे तुम Discharge, आओ जिनवाणी से फिर से हो जाए Recharge ।।

  • दिगंबर साधु के प्रति श्रद्धा नहीं तो किस बात के तुम दिगंबर ।।

    दिगंबर साधु के प्रति श्रद्धा नहीं तो किस बात के तुम दिगंबर ।।

  • "चिराग नहीं क्षण में मिट जाऊं।।"

    "चिराग नहीं क्षण में मिट जाऊं।।"

  • दीक्षा में कोई व्यवस्था नहीं होती ।।

    दीक्षा में कोई व्यवस्था नहीं होती ।।

  • णमो लोए सव्वसाहूणं ।।

    णमो लोए सव्वसाहूणं ।।

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