मुनिश्री सुप्रभ सागर जी ने महाराष्ट्र प्रान्त की घार्मिक नगरी सोलापुर को गौरवान्वित किया और माता “श्रीमती सुरमंजरी” की कुक्षी एवं पिता “श्री राजन शाह जी ” की गोद को 13/12/1981 को घन्य किया था।मातृभाषा मराठी, लौंकिक शिक्षा सी.ए. होने पर भी संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, कननड़, अंग्रेजी आदि भासाविद हैं ।
आप युवावस्था में वैराग्यपूर्वक संयम पथ की ओर अग्रसर हुए । श्रमण संस्कृति को सुशोभित करने हेतु आप 14/10/2009 मध्यप्रदेश स्थित अशोक नगर में जीवन के शोक को दूर कर निर्वाण दीक्षा में श्रमणाचार्य विशुद्धसागरजी के कर कमलों द्वारा स्थापित हुए ।
श्रुत परम्परा में आध्यात्मिक चिन्तन-मनन होते हुए भी गुरु भक्ति और वात्सल्य से परिपूर्ण आप अपनी निःस्पृहता, सहिष्णुता एवं उत्साह शक्ति से सुशोभित सौम्यश्रमण हैं ।